Sunday, October 9, 2016

Kapil Jain Story : Peach Seed : आड़ू का बीज

Kapil Jain Story : Peach Seed : आड़ू का बीज

आज सब्ज़ी-फल-मंडी मे एक व्यक्ति आड़ू (Peach) की ख़ोज में लगा था , आड़ू पूरी मंडी मे कही था ही नही , सभी दुकानदारो का यह कहना था कि अब आड़ू का सीजन नही है , कुछ इतेफ़ाक ऐसा हुआ उस व्यक्ति ने जब पहली दुकान से पूछा तो भी मै वही सामान खरीद रहा था , उसके बाद करीब आधा घण्टा , मै बाज़ार मे रहा , वो मुझे कई जगह दिखा , कुछ हैरान कुछ परेशान .

लगभग आखिरी दुकान की बात है ,
मै जब उस दुकान पर पहुँचा , मैने सुना ,
आड़ू है भाई साहिब ?
दुकानदार ने जवाब दिया , अभी आड़ू कही नही मिलेंगे ।  वो वापस लौटने हो हुआ ही था कि मुझसे रहा नहीं गया ,
मै उससे पूछ ही लिया , भाई साहिब आड़ू की इतनी भी क्या जरूरत हो गयी , ग्राहक मुझसे बोला  की असल मे ज़रूरत आड़ू की नहीं बल्कि उसके बीज़ की है ,
आज घर मे पूजा है और उसमे किसी विधि-विधान मे आड़ू का बीज सामग्री की तरह चाहिये ।

मेरे लिए यह एक नयी जानकारी थी , मैने अपनी ज़िन्दगी मे कभी भी आड़ू के बीज का उपयोग नहीं सुना था , वो भी पूजा मे? मैने उससे कहा , भाई साहिब , मुझे लगा की जैसे आपके बच्चे ने आज ज़िद पकड़ ली की मुझे तो आड़ू ही खाने है जिसकी वज़ह से आप इतनी मेहनत से आड़ू ढूंढ रहे है , आप पढें लिखे आदमी हो सच्चे दिल से पूजा करो , क्या फ़र्क  पड़ता है कि आड़ू का बीज़ है या नही है ? इतनी देर से परेशान हो ।

दुकानदार के पिताजी , बातचीत के दौरान ही वही पहुँचे थे,
सारी बात को सुनते ही हरक़त मे आ गए, आड़ू के बीज़ के पूजा के उपयोग की जानकारी रखते थे, अपने लड़के से तुरंत बोले की (किसी व्यक्ति का नाम लेकर ) वहाँ जा और मेरा नाम लेकर कहना की आड़ू के चार सच्चे बीज़ दे दे । और दुबारा ताक़ीद की सच्चे ही लाना ।

मेरी उत्सुकता और बढ़ चुकी थी , आड़ू के बीज वो भी सच्चे । मै भी वही इंतज़ार करने लगा । पांच मिनट के बाद, लड़का आड़ू के चार बीज़ जो पूरी तरह सूखे थे लेकर आया और ग्राहक से बोला डेढ सो रूपये ( Rs. 150) ,
चार बीज़ के लिऐ डेढ़ सौ रुपये ?

मेरे और ग्राहक के चेहरे पर यही विचार , लगा जरूरत का नाजायज़ फायदा उठा रहा है ।

तभी पिताजी ने अत्यंत झुंझलाते हुए अपने लड़के को हाथ के इशारे से रोका और जेब से एक सौ नोट निकाला और आड़ू के बीजों के ऊपर रखा , बड़े ही श्रद्धा से दोनो हाथ जोड़ें और ग्राहक की तरफ बीज और नोट देते हुए कहा , भाई साहिब , हमारी तरफ से भी यह पूजा में दान देना ,
लड़के ने सकपका के कहा : पिताजी मै इन चार सूखे बीजों के सौ रूपये असल कीमत दे कर आया हूँ , इसलिये ही डेढ़ सौ रूपये मे बेचना चाह रहा था , मैने डेढ़ सौ रूपये कोई नाजायज़ नही माँगे , आपने लगात तो छोड़ी और अपनी जेब से सौ रूपये और दे दिये । पिताजी बोले यह पूजा मे बहुत दिन से करना चाह रहा था, अब यह भाई साहिब की बदौलत हमारी भी आहूति हो जायेगी पूजा मे ।

अब बारी थी ग्राहक की , वह बोले ,
अगर मैने बीज़ के दाम नहीं दिये
तो मेरी पूजा पूरी नहीं होगी ?

मेरा हँसते हँसते बुरा हाल हो गया,
और मै वहा से निकल लिया
जाने पूजा में किसकी कितनी आहुति हुई ?

पाँच व्यक्ति : पाँच विचार

लड़का  :  पक्का व्यापारी

पिताजी :  पक्का भक़्त

ग्राहक   :  पक्का असूल पसंद

मै         :  दुनियादार , करना कराना कुछ नही ,
              दूसरों को वो सलाह
              जिसपर कभी खुद अमल नहीं

आप यानि पाठक : निर्णायक

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Kapil Jain Story : Peach Seed
Kapilrishabh@gmail.com
Noida , Oct 9 , 2016

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