Sunday, August 28, 2016

जब ये श्यामल संध्या रात्रि में विलीन हो जायेगी।


Classic Sensuous
Great poem

जब ये श्यामल संध्या
रात्रि में विलीन हो जायेगी।
  
नभ पर छिड़की हुई लाली
जब अंधकार में
लीन हो जायेगी ।

तब अपने कक्ष में
ऊष्मा भरे प्रेम के
दीप जलाना ।

उड़ेल देना अपने
नयनों से
स्नेह भरी मदिरा ।

और सिद्ध कर देना
इतना भी कठिन नहीं
है जीना ।

Shri Aniruddh Agarwal Bhai Sahib Ji