Monday, January 11, 2016

Aaj phir tere khyal

आज फिर तेरे ख्याल उलझाए जा रहे है,
पुरसुकून झील मे संग गिराए जा रहे है!

लाज़ि़म है कुछ लफ्ज़ कागज़ पर उतरे ,
ज़हन में तो ये तूफान मचाए जा रहे हैं !

कह ना सके उनसे हम अपने दिल की बात,
बज़ाहिर वो हमसे दूर जाए जा रहे हैं !

सोचा था वक्त के साथ भर जाएगें ये जख्म ,
वक्त के साथ मगर ये और गहराए जा रहे हैं !!

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