Monday, August 10, 2015

Vedika Facebook Post Kapil's Kavita





छुक छुक करती आगे बढ़ती
पर्वत जंगल नदी पहाड़
सबको पार करती
समुंदर तट पर लेकर जाती

छुक छुक करती आगे बढ़ती
मे मम्मी नानी को साथ लिए
शनिवार को घूमने निकली
कितने मजे का दिन है यह

छुक छुक करती आगे बढ़ती
सपनो का संसार रचाती
इक दिन चाँद सूरज तक जाउंगी
सात समुन्दर पार हो आऊँगी
महाद्वीप प्रायद्वीप खाड़ी दर्रे
उत्तरी ध्रुवः दक्षिणी ध्रुवः
एवरेस्ट तक हो आउंगी
अपने सारे दोस्त भी लेकर जाउंगी

छुक छुक करती आगे बढ़ती

No comments:

Post a Comment